अंबिकापुर. तबीयत बिगडऩे पर एक युवक ने अपने छोटे भाई को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया था। वह एड्स पीडि़त भी था। इलाज के लिए रुपए कम पडऩे पर वह घर चला गया। जब 2 दिन बाद वापस लौटा तो भाई बेड से गायब था। काफी पूछताछ के बाद भी अस्पताल में पता नहीं चल रहा था।
जब वह 24 जून को अस्पताल के पुलिस सहायता केंद्र में पहुंचा तो उसके भाई की फोटो दिखाई गई तो वह पहचान गया। दरअसल उसके भाई की मौत इलाज के दौरान हो गई थी। अस्पताल प्रबंधन ने शव को लावारिस मानते हुए सूचना सहायता केंद्र को दी। पुलिस ने भी उसकी पहचान किए बिना दफना दिया। यह सुनकर उसके होश उड़ गए।
यह नहीं मृतक के पहचान से संबंधित आधार कार्ड को कचरे में फेंक दिया गया था। मृतक की सोनोग्राफी रिपोर्ट व मोबाइल उसके बिस्तर के बगल में रखी हुई थी। अब उसके बड़े भाई ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाकर न्याय की गुहार लगाई है।
मेडिकल कॉलेज अस्पताल भी अपनी कार्यप्रणालियों की वजह से सुर्खियों में रहने लगा है। यहां जीवित इंसान के साथ जो व्यवहार किया जाता है वह तो जग जाहिर है लेकिन अब मौत के बाद शव के साथ भी अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला रविवार को सामने आया है।
मनेन्द्रगढ़ के एक 37 वर्षीय युवक की तबीयत बिगडऩे पर उसे बैकुंठपुर से रेफर किया गया था। उसके बड़े भाई ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल अस्पताल के मेडिकल वार्ड के बेड नम्बर-22 पर उसे भर्ती कराया था। रुपए कम पडऩे पर वह यहां से 130 किलोमीटर दूर अपने गृहग्राम गया था।
इधर 21 जून को उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। मौत के बाद वार्ड स्टाफ ने उसे लावारिस घोषित करते हुए अस्पताल के पुलिस सहायता केंद्र को सूचना दी थी। पुलिस सहायता केंद्र द्वारा मरच्यूरी में एक दिन तक शव रखा गया था। फिर 23 जून को अस्पताल प्रबंधन की सूचना के आधार पर मृतक को लावारिस मानते हुए उसका अंतिम संस्कार कर दिया।
इधर रविवार को इस मामले में एक नया मोड़ सामने आया। मृतक का बड़ा भाई उसे खोजते हुए अस्पताल पहुंचा। अस्पताल आने के बाद युवक अपने भाई को पूरे अस्पताल में खोजता रहा लेकिन उसे किसी ने भी सही जानकारी नहीं दी। इस दौरान कुछ लोगों ने उसे बता दिया कि वह भाग गया है।
नर्सों ने भी नहीं बताया, फोटो से की पहचान
अस्पताल में भटकने के बाद वह मेडिकल वार्ड में पहुंचा तो वहां मौजूद नर्स ने भर्ती रजिस्टर दिखाने से भी मना कर दिया। इस बीच वार्ड ब्वाय ने उसे जानकारी दी कि दो दिन पूर्व ही उसके भाई की मौत हो चुकी है। बड़ा भाई जब चौकी पहुंचा तो पुलिस ने उसे फोटो दिखाकर पूछा तब उसकी पहचान हो पाई।
इस दौरान चौकी में बैठे पुलिस कर्मियों ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन ने उसके शव को लावारिस बताकर पुलिस के सुपुर्द किया था और एक दिन इंतजार करने के बाद 23 जून की शाम को नगर निगम की मदद से शव का अंतिम संस्कार किया गया है। यह सुनते ही मृतक के बड़े भाई के होश उड़ गए।
एचआईवी पीडि़त था भाई
भाई ने पुलिस को बताया कि मृतक एचआईवी पीडि़त था व उसके पास सारे दस्तावेज आाधार कार्ड व मोबाइल थे। ऐसे में अस्पताल के कर्मचारी उसे लावारिस कैसे बता सकते हैं। अस्पताल के कर्मचारियों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए उसने कहा कि अगर मोबाइल से परिवार वालों का नम्बर देख लिया जाता और समय पर घर वालों को सूचना दे दी जाती तो परिवार के लोग उसका विधि-विधान से अंतिम-संस्कार कर सकते थे।
कचरे में मिले पहचान के दस्तावेज
अपने भाई की पहचान करने के बाद युवक पुन: पुलिस के साथ वार्ड में पहुंचा। उसने बेड के रैक के आसपास छानबीन की तो एक झोले में मोबाइल व सोनोग्राफी रिपोर्ट रखी हुई थी। इसके साथ ही अस्पताल के कचरे के ढेर में मृतक का एचआईवी के उपचार से संबंधित दवा की पर्चियां, दस्तावेज व आधार कार्ड भी पुलिस को मिले। उसे पुलिस ने बरामद कर लिया।
रुपए खत्म होने पर गया हुआ था घर
मृतक के बड़े भाई ने बताया कि वह उसके साथ अस्पताल में था। वह रुपए खत्म होने की वजह से घर गया हुआ था। बैकुंठपुर अस्पताल से जब उसे रेफर किया गया था, तब उसके पास महज 200 रुपए थे।
जांच कराकर करेंगे कार्रवाई
किसी भी अज्ञात व्यक्ति की मौत होती है तो शव को पुलिस के सुपुर्द कर दिया जाता है। जांच व आगे की कार्रवाई पुलिस की जिम्मेदारी होती है। अगर अस्पताल के कर्मचारियों ने लापरवाही की है तो इसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. व्हीके श्रीवास्तव, उपअधीक्षक मेडिकल कॉलेज अस्पताल
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