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छत्तीसगढ़ के शिमला में हाथियों ने उजाड़ दी पूरी बस्ती, सिर छिपाने को बचा है खुला आसमान

अंबिकापुर/मैनपाट. ग्राम बरिमा में 9 हाथियों के दल ने जमकर उत्पात मचाया। वन अधिकारियों के लाख दावों के बावजूद हाथियों का दल बस्तियों में घुसकर न केवल घरों को तोड़ रहा है, बल्कि बारिश के लिए सुरक्षित रखे अनाज भी चट कर जा रहा है। बुधवार की रात मैनपाट के ग्राम बरिमा के बस्ती में 9 हाथियों ने 13 मकान को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया।

इसके साथ ही लगभग कई क्ंिवटल धान को भी चट कर डाला। अब बारिश के मौसम में ग्रामीणों के सामने रहने व परिवार चलाने की समस्या खड़ी हो गई है।

 

House

प्री-मानसून की बारिश शुरू हो गई है और ऐसे में अब हाथियों का हमला बढ़ गया है। वन विभाग के आला अधिकारियों द्वारा यह दावा किया जा रहा था कि मैनपाट की सीमा अब हाथियों से सुरक्षित हैं, हाथियों को खदेडऩे के बाद सीमा का घेराबंदी कर दी गई है। इसके बावजूद पिछले कुछ दिनों से मैनपाट के अलग-अलग क्षेत्र में 9 हाथियों का उत्पात बढ़ गया है।

बुधवार की रात हाथियों के इस दल ने मैनपाट के ग्राम बरिमा में जमकर उत्पात मचाया। ग्राम बरिमा में उत्पात मचाते हुए पूरी बस्ती को ही हाथियों ने तहस-नहस कर दिया। पिछले वर्ष ग्राम कंडराजा में हाथियों ने पूरी बस्ती को ही उजाड़ दी थी।

 

Elephant broken house

लेकिन इसके बावजूद वन अमला सिर्फ बड़े-बड़े दावे करने में लगा हुआ है। हाथियों को बस्तियों में घुसने से रोकने के लिए वन विभाग द्वारा बनाई गई सभी योजनाएं सिर्फ कागजों में ही नजर आते हैं।


गज आतंक से ये हुए प्रभावित
ग्राम बरिमा में 9 हाथियों के दल ने 13 घरों को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया है। बुधवार की रात हाथियों ने ग्राम बरिमा के मतियस पिता मगरू, लनिस पिता मतियस, अवधेश पिता विश्वनाथ, शीतल पिता बुधराम, सांझू पिता बुधराम, नईहरसाय पिता सांझू, केंदा पिता मते, नानसाय पिता पगला, इन्द्रदेवा पिता सुखदेव, केतका पिता मते, मंत्री पिता रामेश्वर धोबी, नंदलाल पिता हरिराम व संतोष पिता मगरू के घर को तोड़ डाला। एक झोपड़ी को भी पूरी तरह से तोड़ डाला। इसके अलावा बारिश के मौसम के लिए घरों में सुरक्षित रखे लगभग 8.50 क्ंिवटल धान को चट कर दिया।


सिर से छीन गया आशियाना
हाथियों की उत्पात के वजह से ग्राम बरिमा में 14 परिवार के सिर से आशियाना छीन गया है। अब उनके सामने यह समस्या खड़ी हो गई है कि बारिश के दौरान वे कृषि कार्य करें या मकान का पुन: निर्माण करें। अभी तक इन ग्रामीणों को सुरक्षित अन्य जगहों पर ठहरने के लिए वन विभाग ने कोई जगह भी नहीं दी है।


सिर्फ मुआवजा वितरण तक जिम्मेदारी
कंडराजा में हाथियों के उत्पात से पूरा गांव उजड़ जाने के बाद जिला प्रशासन के दखल पर वहां की बस्ती के लोगों को अन्य जगह पक्के मकान में शिफ्ट किया गया। लेकिन वन विभाग के अधिकारी कभी इस दिशा में पहल करने की नहीं सोचते हैं। सिर्फ उनके द्वारा हाथियों के नुकसान पहुंचाने पर मुआवजा देने की बात की जाती है और इस संबंध में प्रकरण भी चलाया जाता है।



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छत्तीसगढ़ के शिमला में हाथियों ने उजाड़ दी पूरी बस्ती, सिर छिपाने को बचा है खुला आसमान छत्तीसगढ़ के शिमला में हाथियों ने उजाड़ दी पूरी बस्ती, सिर छिपाने को बचा है खुला आसमान Reviewed by TUNI ON LINE CENTER AMBIKAPUR on जून 18, 2018 Rating: 5

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