अंबिकापुर. शासन के गरीब व जरूरतमंद बच्चों के शिक्षा का अधिकार अधिनियम का संभाग मुख्यालय में बुरा हाल है। यहां जरूरतमंद बच्चों को स्कूलों में दाखिला नहीं दिया जा रहा है, ऐसे ही एक मामले में 6 घूमंतु बच्चे कलक्टोरेट कार्यालय के गेट के पास फुटपाथ पर स्ट्रीट लाइट की रोशनी में पढ़ रहे हैं। उनका कसूर सिर्फ ये है कि दाखिले के लिए जन्म प्रमाण-पत्र व राशन कार्ड व अन्य दस्तावेज नहीं हंै। ऐसे में उन्हें शहर के एक स्कूल में दाखिला नहीं मिला।
शासन द्वारा शिक्षा का अधिकार अधिनियम इस उद्देश्य से बनाया गया है कि जरूरतमंद व गरीब परिवार के बच्चों को भी सरकारी व निजी स्कूलों में दाखिला मिल सके। लेकिन इस अधिनियम का पालन जिले में कभी भी शत-प्रतिशत नहीं हो पाता। हर साल कई जरूरतमंद बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित रह जाते हैं।
ऐसा ही एक चौंका देने वाला संभाग मुख्यालय में सामने आया है, यहां 7 घूमंत बच्चे एडमिशन नहीं मिलने से फुटपॉथ पर पढ़ाई कर रहे हैं। इन बच्चों में पढऩे का जुनून इतना है कि वे रात में भी स्ट्रीट लाइट के नीचे ककहरा सीख रहे हैं। दरअसल रींवा से आया घूमंत परिवार कई महीनों से शहर में है।
इस परिवार का पेशा जगह-जगह टेंट-तंबू लगाकर विभिन्न सामान बेचना है। इसी परिवार के 7 बच्चे जब केदारपुर शासकीय स्कूल में दाखिला लेने गए तो उन्हें यह कहकर लौटा दिया गया कि राशन कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र व अन्य सरकारी दस्तावेज नहीं है। यहां से बच्चे तो निराश होकर लौट गए लेकिन पढ़ाई करने का जुनून कम नहीं हुआ।
एक साथ बैठकर खुद करते हैं पढ़ाई
बच्चों ने पत्रिका को बताया कि वे दाखिले के लिए स्कूल गए थे, लेकिन उन्हें सरकारी दस्तावेज नहीं होने का हवाला देकर एडमिशन देने से इंकार कर दिया गया। लेकिन वे पढ़ाई करना चाहते थे, इसलिए विगत 6 माह से कलक्टोरेट कार्यालय के सामने फुटपॉथ पर बैठकर खुद ही पढ़ाई कर रहे हैं।
उन्हें हर दिन सुबह दीनदयाल, पिं्रस व शंभू नामक युवा 1 घंटा पढ़ाने आते हैं। अभी वे शुद्धलेख लिखने का अभ्यास कर रहे हैं। चार बच्चे ६ माह से व तीन दो माह से फुटपॉथ पर पढ़ाई कर रहे हैं।
जल्द दाखिला दिलाने की रहेगी कोशिश
आपके माध्यम से इस मामले की जानकारी मिली है। पूरी कोशिश की जाएगी कि जल्द ही उन बच्चों को स्कूल में दाखिला मिला जाए।
किरण कौशल, कलक्टर, सरगुजा
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