बेरोजगारी किसी भी देश के लिए बड़ी समस्या होती है। हमारे देश में भी यह समस्या लंबे समय से चलती आ रही है। हर बार चुनाव के समय सरकारें नौकरियों के अवसर पैदा करने के बड़े बड़े वादे लेकर सत्ता में आती हैं, लेकिन फिलहाल तक देश में बेरोजगारी की समस्या का कुछ खास समाधान नहीं हो सका है। बेरोजगारी का आलम तो यहीं से समझ आ जाता है, जब चपरासी के पद के लिए पीएचडी धारक अपनी डिग्रियों को अनदेखा कर आवेदन कर देते हैं। बेशक वे इन पदों के लिए ओवरक्वालिफाइड हैं, लेकिन नौकरी की जरूरत उन्हें ऐसा करने पर मजबूर कर देती है। हाल ही उत्तर प्रदेश में भी ऐसा एक मामला सामने आया है।
उत्तर प्रदेश पुलिस में चपरासी और संदेशवाहक के लिए हो रही भर्ती ने बेरोजगारी की तस्वीर सामने रख दी है। 62 पदों के लिए हो रही इस भर्ती में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता पांचवीं पास है।
इन पदों के लिए करीब 93,000 लोगों ने आवेदन किया है। इनमें करीब 50 हजार स्नातक, 28 हजार परास्नातक शामिल हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि चपरासी बनने की कतार में शामिल 3740 अभ्यर्थी पीएचडी डिग्रीधारी हंै। जानकारी के मुताबिक आवेदन करने वालों में बीटेक और एमबीए पास लोग भी हैं। 93,000 आवेदकों में केवल 7400 ऐसे हैं जिन्होंने पांचवीं से 12वीं के बीच पढ़ाई की है। सूत्रों के मुताबिक पुलिस विभाग में यह 62 पद करीब 12 वर्षों से खाली हैं।
डाकिए जैसा है काम
एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक चपरासी और संदेशवाहक की नौकरी डाकिए जैसी होती है। इस पद पर नियुक्त व्यक्ति का काम पुलिस के दूरसंचार विभाग से पत्र और दस्तावेज दूसरे विभागों तक पहुंचाना होता है। नियुक्ति के लिए जरूरी है कि आवेदक को साइकिल चलाना आता हो। इस नौकरी के लिए शुरुआती वेतन करीब 20 हजार रुपए है।
भर्ती परीक्षा भी होगी
एडीजी (टेलीकॉम) पीके तिवारी ने कहा, यह अच्छा है कि इतनी बड़ी संख्या में बड़ी डिग्रीधारकों ने आवेदन किया है। हम चयन के बाद उन्हें अन्य कामों में भी लगा सकेंगे। तकनीक योग्यता वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति के बाद प्रमोशन भी जल्दी मिल जाएगा और वे विभाग के लिए उपयोगी होंगे। उन्होंने बताया, इस बार से भर्ती पैटर्न बदला जाएगा।
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