कमोबेश कई बड़े देशों में यह स्थिति आम है, लेकिन समस्या हालात से ज्यादा हालात का आम होना है। रूस में महिलाओं के लिए प्रतिबंध वाली नौकरियों की सूची को छोटा किया गया है। पहले यह 456 थीं, जिसे घटाकर 79 कर दिया गया है।
कभी दुनिया की महाशक्ति का दूसरा बड़ा केंद्र रहे रूस में लैंगिक भेदभाव की यह दशा हैरान करती है। सोवियत संघ के काल में वर्ष 1974 में महिलाओं को पायलट, ट्रेन ड्राइवर जैसे कामों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था जो अब हटा है। श्रम मंत्रालय के एक उच्च अधिकारी वालेरी कोरज के मुताबिक, ‘कई कार्यस्थलों पर श्रम की स्थिति में सुधार हो रहा है। इसका कारण प्रतिबंधों को हटाया जाना है।’
महिलाओं के लिए इन नौकरियों के दरवाजे खोलने का आदेश 2020 से लागू होने की उम्मीद है। कोरज कहते हैं कि श्रम मंत्रालय को आशंका थी कि मसौदे को जनता के बीच रखते ही वह नाराजगी का कारण न बन जाए, लेकिन लोगों की प्रतिक्रिया आशंकाओं की ठीक विपरीत थी। मसौदे पर टिप्पणी करने वालों में से 99 प्रतिशत लोगों ने कहा की कि पुरुष महिलाओं को बताते रहते हैं कि कहां काम करना है और कहां नहीं। समय आ गया है कि महिलाओं को अपनी मर्जी की नौकरी की अनुमति दी जाए।
कठोर श्रम वाले क्षेत्र में रोक कायम
नए नियम के बाद महिलाओं को पायलट, नाविक और बस-ट्रकों में बतौर ड्राइवर के रूप में देखा जा सकेगा। रासायनिक उद्योग में उनके स्वागत के लिए कई नई रिक्तियां निकाली जाएंगी। हालांकि जिन 79 नौकरियों में उन रोक कायम हैं, उनमें ज्यादातक कठोर शारीरिक श्रम से जुड़ी हैं।
संयुक्त राष्ट्र करता रहा है आलोचना
अभी भी रोक वाली नौकरियों में अग्निशमन और खनन शामिल हैं। हालांकि अधिकारी इस सूची में से उन नौकरियों को मुक्त करते रहेंगे जिनसे महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर खतरा कम होता जाएगा। इन प्रतिबंधों की संयुक्त राष्ट्र कई मौकों पर आलोचना कर चुका है।
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