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बार काउंसिल ऑफ इंडिया की मान्यता ही नहीं और ये यूनिवर्सिटी 7 साल से बांटे जा रहा लॉ की डिग्रियां

अंबिकापुर. बार काउंसिल ऑफ इंडिया कानूनी संस्था (बॉडी) है। विधि के पाठ्यक्रम बार कौंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता प्राप्त होना चाहिए। बार कौंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता नहीं होने की स्थिति में उपाधियों की कोई कीमत नहीं है। उपाधियों अवैध हैं। यह बातें गुरूवार को वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर तिवारी ने दौरान कही।

गौरतलब है कि सरगुजा यूनिवर्सिटी द्वारा राजीव गांधी पीजी कॉलेज के माध्यम से विधि के पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं, जिसे बार काउंसिल ऑफ इंडिया की मान्यता ही प्राप्त नहीं है। 7 साल से यहां से डिग्री प्राप्त करने वाले लॉ के छात्रों का भविष्य अधर में है।


अधिवक्ता हरिशंकर तिवारी ने कहा कि सरगुजा विश्वविद्यालय द्वारा संचालित विधि के पाठ्यक्रम बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता नहीं होने की स्थिति में उपाधि प्राप्त व्यक्ति वकालत नहीं कर सकता है। विधि सेवा में नहीं जा सकता है। विधि से सम्बंधित किसी भी सेवा में नहीं जा सकता है। प्रशासनिक सेवा के लिए पात्र नहीं होगा।

उन्होंंने बताया कि विधि के पाठ्यक्रम संचालित करने वाले सभी कॉलेजों, संस्थानों, विश्वविद्यालयों को बार काउंसिल ऑफ इंडिया के निर्देश, नियमों एवं शर्तांे को मानना होगा। वकालत पेशे से जुड़े वकीलों के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया पंजीयन कर लायसेंस देता है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा पंजीयन एवं लायसेंस के लिए कड़ी शर्तें होती हैं।

वकील बार काउंसिल ऑफ इंडिया की शर्तों से बंधे होते हैं। कौंसिल की शर्तें मानना अनिवार्य है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के शाखायें प्रत्येक प्रदेश में हैं। वकीलों द्वारा कदाचार होने की स्थिति में बॉर काउंसिल ऑफ इंडिया वकालत की मान्यता का समाप्त कर सकता है। मान्यता समाप्ति की स्थिति में प्रदेश बार काउंसिल सुनवाई करता है।

प्रदेश बॉर काउंसिल के इनकार के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया सुनवाई करेगा। बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा मान्यता समाप्त होने की स्थिति में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करता है। प्रदेश बॉर काउंसिल वकीलों की संख्या और उनके गुणवत्ता पर नजर रखता है।


वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर तिवारी ने बताया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया की मान्यता को एमसीआई (मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया)की तरह देखा जाना चाहिए। जिस तरह सरगुजा मेडिकल कॉलेज में संसाधन नहीं होने की स्थिति में सत्र शून्य कर दिया गया। उसी तरह बार काउंसिल ऑफ इंडिया संसाधन के अभाव में सत्र को शून्य कर सकता है।


मान्यता विहीन उपाधिधारकों का पंजीकरण नहीं करेंगे कौंसिल
सरगुजा विश्वविद्यालय बार काउंसिल ऑफ इंडिया की मान्यता नहीं होने के बाद भी पाठ्यक्रम संचालित कर रहा है तो मान्यता मिलने की प्रत्याशा में है। मान्यता नहीं होने की स्थिति पाठ्यक्रम ही संचालित नहीं करना चाहिए था। झूठी प्रत्याशा आत्मप्रशंसा है। मान्यता विहीन उपाधि धारकों का पंजीकरण काउंसिल नहीं करेगा। पाठ्यक्रम पढ़ाना अलग बात है लेकिन पाठ्यक्रम की उपयोगिता विद्यार्थी के लिए नहीं होना दुखद है। मान्यता विहीन उपाधि की कोई कीमत नहीं है।
प्रेम कुमार शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता


उपाधिधारक विधि से जुड़े किसी भी पेशे में नहीं ले सकते भाग
बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता नहीं होने की स्थिति में उपाधि धारक विधि से जुड़े किसी भी पेशे में भाग नहीं ले सकते हैं। सरगुजा विश्वविद्यालय बिना मान्यता पाठ्यक्रम संचालित कर अनुचित कर रहा है। मान्यता में सरगुजा विश्वविद्यालय अक्षम है तो पाठ्यक्रम ही नहीं संचालित करना था।
अशोक दुबे, अध्यक्ष, जिला अधिवक्ता संघ



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बार काउंसिल ऑफ इंडिया की मान्यता ही नहीं और ये यूनिवर्सिटी 7 साल से बांटे जा रहा लॉ की डिग्रियां बार काउंसिल ऑफ इंडिया की मान्यता ही नहीं और ये यूनिवर्सिटी 7 साल से बांटे जा रहा लॉ की डिग्रियां Reviewed by TUNI ON LINE CENTER AMBIKAPUR on जून 02, 2018 Rating: 5

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